रामचरण निर्मलकर |
देश में लाखों टन सड़ते अनाजों, काले धन, सट्टेबाज़ी और पागलपन भरा आईपीएल क्रिकेट और बेवजह के कार्टून विवाद में समय बर्बाद करते संसद के बीच ये पूछना एकदम ही बकवास है कि रामचरण निर्मलकर किसका नाम है ? आप बड़े ही आराम से कह सकतें हैं कोई भी हो हमें क्या? और जान ही लेंगें तो क्या हो जायेगा ? मुझे पूरा यकीं है कि स्टारों के छींक और दस्त तक की पल-पल की खबर रखनेवाले इस देश में आप इतना “कोमल” जबाब नहीं देंगें और अगर दिया भी तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी | भाई जब लोक कलाकार को कलाकार ही महत्व नहीं देता और देता भी है तो दया मिश्रित महत्व देता है, तो आप सभ्य जन से इस बेकार मामले में कोई उम्मीद करना बिलकुल ही बेकार की बात है | भाई वो कोई पैसे से पैसे के लिए बनाया गया आइकॉन स्टार तो थे नहीं कि मिडिया फ्रंट पेज़ पर छपे और टेलिविज़न ब्रेकिंग न्यूज़ चलाये, ना ही वो कोई सन्नी लिओन है जिसके लिए आप नेट का बलात्कार कर डालें | इसलिए आप ये गिनिए कि गेल कितने बाल पर शतक मार रहा है और हम यहाँ बात करते हैं रामचरण निर्मलकर की |
हबीब साहेब के नया थियेटर के शानदार स्तंभों में से एक थे रामचरण निर्मलकर | अब हबीब तनवीर को तो आप जानतें ही होंगें न ? विगत 16 मई 2012 को छत्तीसगढ़ी रंगमंच, केवल छत्तीसगढ़ी ही क्यों हिंदुस्तान कहिये , तो हिंदुस्तान के लोकप्रिय रंगमंच कलाकार रामचरण निर्मलकर का उनके गृह गांव बरौंडा ( रायपुर जिले के धरसींवा विकास खण्ड स्थित ) में निधन हो गया । रामचरण निर्मलकर जी का जन्म 17 मार्च 1927 को हुआ था । वो छत्तीसगढ़ी रंगमंच की लोकप्रिय विधा नाचा ( छतीसगढ की एक लोक-नाट्य शैली ) और गम्मत के अत्यंत मंजे हुए कुशल कलाकार थे । वह 1973 में छत्तीसगढ़ के ही देश-विदेश में प्रसिद्ध नाट्य निदेशक स्वर्गीय हबीब तनवीर के सम्पर्क में आए और उनके नया थियेटर से जुड़कर कई नाटकों में जानदार और शानदार अभिनय किया। इसमें वो नाटक भी हैं जिनपर आज भारतीय रंगमंच गर्व करता है | मसलन – चरणदास चोर, आगरा बाज़ार आदि आदि | जिन्होनें भी इन्हें हबीब तनवीर के नाटकों में देखा वो भले ही नाम न जानें पर चेहरा कभी नहीं भूल सकते | यही तो कमाल है एक शानदार अभिनेता का कि वो अपने स्टार होने वजह से नहीं चरित्र और उसकी प्रस्तुति कि वजह से जाना जाये | अपने जीवन के अंत काल तक वो अभिनय और रंगमंच के प्रति ही समर्पित रहे | वर्ष 2004 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2009 में छातीसगढ़ राज्य सरकार के राज्य अलंकरण "दाऊ मंदराजी पुरस्कार" से सम्मानित रामचरण निर्मलकर चुपचाप इस दुनिया से विदा हो गए | अब भी आप निर्मलकर को नहीं पहचान पाए ? चलिए एक रास्ता और है | वही सबसे आसान वाला | जो हर वक्त आपके दिल दिमाग पर राज करता है | जी हाँ बिलकुल सही समझा – सिनेमा | आपने शेखर कपूर के निर्देशन में फूलनदेवी के जीवन पर आधारित बनी बहुचर्चित फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ तो देखी ही होगी | हाँ वही जो विवादित थी और फूलन देवी पर बनी थी| इस फिल्म में फूलन (सीमा विश्वास) के पिता की भूमिका याद आई आपको । वही हैं निर्मलकर | सुना है निर्मलकर जी रोज़ डायरी भी लिखते थे काश कोई उनकी ये नायाब चीज़ छापे | वो सच्चे अर्थ में भारतीय रंगमंच का एक अध्याय होगा | पर यहाँ एक से एक ऐय्याश और सुविधाभोगीयों की जीवनी छापने से किसी को फुर्सत हो तब न ये काम करे | जीते जी तो तुमने हबीब तनवीर को भी अछूत बना रखा तो निर्मलकर को क्या महत्व दोगे | सुन रहे हो भारतीय रंगमंच का ठेका लेने वाले संस्थानों, मैं तुमसे ही बात कर रहा हूँ | खैर, तुम क्यों सुनने लगे मेरे दिल की बात, तुम्हें तो अब तुम्हारे दिल की बात भी सुनाई नहीं पड़ती |
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