Wednesday, February 7, 2018

बहुत संकीर्ण है Toilet एक प्रेम कथा

कल Toilet एक प्रेम कथा नामक प्रोपेगेंडा फ़िल्म देखी। फ़िल्म देखने के पीछे का मूल कारण यह था कि ऐसी ख़बर थी कि फ़िल्म हमारे मित्र Bulloo Kumar अभिनीति फ़िल्म गुंटर गुटरगूँ की कॉपी है लेकिन इस बात में कोई खास दम नहीं है। Toilet एक प्रेमकथा एक निहायत ही ज़रूरी विषय पर बनी, पर वर्तमान प्रधानमंत्री की हवा हवाई नीतियों की चमचई करनेवाली एक सरदर्द फ़िल्म साबित होती है। यह चूरन की एक ऐसी गोली की तरह है जिसको खाते ही हवा निकलती है और चंद पलों के लिए पेटदर्द से आराम मिलता है लेकिन असल बीमारी जस की तस बनी रहती है। फ़िल्म भारतीय परंपरा और संस्कृति की बात करती है जिसमें आदिवासी, जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, पंजाबी, साउथ इंडियन, नॉर्थ इंडियन आदि के लिए कोई स्थान नहीं बल्कि RSS की संकीर्ण सोच की तरह मनुस्मृति और गीता ही सबकुछ है। फ़िल्म इतनी संकीर्ण है कि पूरे के पूरे फ़िल्मी गाँव में ऊपरी पायदान के विशिष्ट हिन्दू छोड़कर किसी अन्य के लिए कोई स्कोप तो दूर की बात दूर दूर तक कोई नामोनिशान तक नहीं है। बहरहाल, इतना घटिया प्रोपगेंडा फ़िल्म पहली बार देखी मैंने। अरे भाई प्रोपगेंडा फ़िल्म ही बनाना है तो पहले दुनियां की कुछ बेहतरीन प्रोपगेंडा फ़िल्म देख तो लेते और पलॉट तो सही चुन लेते। प्रधानमंत्री का प्रचार Tiolet के माध्यम से करना - शोभा देता है क्या ? लेकिन अंधभक्तों को क्या फर्क पड़ता है कि भक्ति का स्तर क्या है। एक सियार बोला नहीं कि सारे हुआँ हुआँ करने लगते हैं और इस फ़िल्म में तो भक्तों की ही फौज है। भक्त अनुपम खेर तो अपनी ज़िंदगी की सबसे वाहियात भूमिका में हैं। एक से एक घटिया जोक मारे हैं अनुपम चाचा ने। वैसे सही भी है कि कलाकार जब राजनीतिज्ञों या राजनीतिक पार्टियों का बंदर बन जाए तो उसे भांड़गिरी तो करनी ही पड़ती है। वैसे भी लोकतंत्र में व्यक्ति विशेष को इतना भाव देना ख़तरनाक होता है। इतिहास बताता है कि हिटलर चाचा को भी प्रोपगेंडा फिल्में बनवाने का बेहद शौख था।
वैसे सुना है फ़िल्म खूब कमाई कर रही है। मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि भारत में अच्छी फिल्में फ्लॉप और घटिया फिल्में खूब कमाई करने के लिए ही जानी जाती है। किसी ने सही कहा है कि भारत अच्छी कला - संस्कृति की कब्रगाह बन गई है। वैसे यह सोच बहुत दिनों से प्रचलन में है कि पहले इंसान के दिमाग को टॉयलेट के रूप में परिवर्तित कर दो फिर वो टट्टी तो अपने आप ही निगल लेगा।

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